एक सप्ताह पूर्व आपने देखा था कि कुंभ मेला में किस प्रकार मजदूर वर्ग के लोगों के बच्चे खुले आसमान के नीचे ठिठुरते हुए रात काट रहे हैं।
उनके पैरों में चप्पल नहीं थे और ना ही पहनने के लिए वस्त्र।
तबीयत से ललकारा था।
शासन के सद्बुद्धि की किया था प्रार्थना जो बेकार नहीं गया।
अब कुंभ मेला परिक्षेत्र में 5 की संख्या में प्राथमिक विद्यालय संचालित किए गए हैं जिनमें ऐसे बच्चों को खोज खोज कर प्रवेश दिलाया गया है।
हमारे प्यारे बच्चे आज बहुत खुश हैं। यदि आप मेला में आए तो इन बच्चों से जरूर मिले। जो बच्चे शेष रह गए हैं, जिनका दाखिला नहीं हुआ है, उन्हें खोज खोज कर दाखिला करवाना है।
जिन बच्चों को कपड़े और ठंड से बचने के लिए और सुविधाएं प्रदान नहीं कराई गई हैं, जनसहयोग से प्राप्त कराने के लिए संपूर्ण रूप से मित्रों सहित तत्पर हूं।
सम्मानित अध्यापक गण को दिल से आभार साथ ही शासन को भी बधाई देता हूं जिसने अपनी बंद आंखों को खोला।
उनके पैरों में चप्पल नहीं थे और ना ही पहनने के लिए वस्त्र।
तबीयत से ललकारा था।
शासन के सद्बुद्धि की किया था प्रार्थना जो बेकार नहीं गया।
अब कुंभ मेला परिक्षेत्र में 5 की संख्या में प्राथमिक विद्यालय संचालित किए गए हैं जिनमें ऐसे बच्चों को खोज खोज कर प्रवेश दिलाया गया है।
हमारे प्यारे बच्चे आज बहुत खुश हैं। यदि आप मेला में आए तो इन बच्चों से जरूर मिले। जो बच्चे शेष रह गए हैं, जिनका दाखिला नहीं हुआ है, उन्हें खोज खोज कर दाखिला करवाना है।
जिन बच्चों को कपड़े और ठंड से बचने के लिए और सुविधाएं प्रदान नहीं कराई गई हैं, जनसहयोग से प्राप्त कराने के लिए संपूर्ण रूप से मित्रों सहित तत्पर हूं।
सम्मानित अध्यापक गण को दिल से आभार साथ ही शासन को भी बधाई देता हूं जिसने अपनी बंद आंखों को खोला।
कुंभ मेला के ठिठुरते बच्चे आज इस रूप में। braj bhushan iitk | |
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Non-profits & Activism | Upload TimePublished on 24 Jan 2019 |
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