सूर्य ढलने के बाद ठंड लगातार बढ़ती जा रही थी कुंभ मेला में दौड़ते हुए यह बाल नागा हमें सड़क पर मिल गए। हमने उन्हें रोका और कुछ सवाल किए,
प्यार जताया।
इस बाबा को यह भी नहीं पता कि उनकी उम्र कितनी है? हां इतना जरूर बताया कि इनके गुरु जी ने इनकी मां से मांग कर इन्हें लाया।
इस अबोध बालक को यह भी नहीं पता कि नागा क्या होता है? बस इतना पता है कि अब हम नागा हो गए हैं हमें अब घर नहीं जाना है।
यह उम्र खेलने और पढ़ने की है। किसी को इस प्रकार का अधिकार नहीं है कि ऐसे बच्चों को नागा बनाकर उनका बचपन छीन ले।
मैं चाह कर के भी इन्हें कोई कपड़ा नहीं पहना सकता क्योंकि इन्हें छोटी सी लंगोट में ही रहना बता दिया गया है। शरीर पर राख है जिससे कुछ गर्मी मिल रही है। अगल-बगल आने जाने वाले स्वेटर जैकेट टोपी साल और चादर लपेटे थे किंतु यह बाल नागा,,,
पूरे देश में निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू है जिसमें इन्हें पढ़ने का संवैधानिक अधिकार है।
हमने बाबा का आश्रम जान लिया है इस परिपेक्ष में हम अपने स्तर से प्रयास भी करेंगे।
प्यार जताया।
इस बाबा को यह भी नहीं पता कि उनकी उम्र कितनी है? हां इतना जरूर बताया कि इनके गुरु जी ने इनकी मां से मांग कर इन्हें लाया।
इस अबोध बालक को यह भी नहीं पता कि नागा क्या होता है? बस इतना पता है कि अब हम नागा हो गए हैं हमें अब घर नहीं जाना है।
यह उम्र खेलने और पढ़ने की है। किसी को इस प्रकार का अधिकार नहीं है कि ऐसे बच्चों को नागा बनाकर उनका बचपन छीन ले।
मैं चाह कर के भी इन्हें कोई कपड़ा नहीं पहना सकता क्योंकि इन्हें छोटी सी लंगोट में ही रहना बता दिया गया है। शरीर पर राख है जिससे कुछ गर्मी मिल रही है। अगल-बगल आने जाने वाले स्वेटर जैकेट टोपी साल और चादर लपेटे थे किंतु यह बाल नागा,,,
पूरे देश में निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू है जिसमें इन्हें पढ़ने का संवैधानिक अधिकार है।
हमने बाबा का आश्रम जान लिया है इस परिपेक्ष में हम अपने स्तर से प्रयास भी करेंगे।
अबोध बच्चों को नागा बनाकर मत छीनो बचपन। braj bhushan iitk | |
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Non-profits & Activism | Upload TimePublished on 27 Jan 2019 |
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