13 वर्ष के मिथिलेश को परिवार ने ठेकेदार के हाथों 2 वर्ष के लिए बंधक दे दिया है, इसके एवज में ठेकेदार ने कुछ रुपए उन लोगों को दिया है।
मिथिलेश जैसे अनेक बच्चों से ठेकेदार बाल श्रम करवाता है। कुछ सामान की विक्री कराता है। बदले में इन बच्चों को केवल भोजन और सोने का कोई ऐसा स्थान जहां किसी की दृष्टि ना जाए। सारा लाभ का पैसा ठेकेदार की जेब में जाता है।
मिथिलेश बिहार के छपरा का रहने वाला है जिसकी उम्र मात्र 13 साल है। बरसों से वह ठेकेदार के चंगुल में बंधक होकर बांसुरी बेचता है।
ठेकेदार की कुटिल दृष्टि प्रयागराज स्थित कुंभ मेला पर भी टिकी हुई है और ऐसे बहुत से बच्चे यहां बांसुरी बेचने समेत और भी काम करते हैं।
मैं यह तो नहीं बताऊंगा कि मिथिलेश को छुड़ाने के लिए मैंने अभी तक क्या किया है, शायद अगले वीडियो में बता सकूं किंतु यह सत्य है कि ऐसे कमीने ठेकेदारों पर ऐसी कड़ी सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए कि भविष्य में कोई इस प्रकार के नीच कर्म की हिम्मत न कर सके।
कई सवाल खड़ा होते हैं कि बिहार प्रशासन के जिम्मेदार लोक सेवक ऐसे बच्चों की गणना करने से लेकर पढ़ाई लिखाई और अन्य आंकड़े जो संरक्षित करते हैं उन लोगों ने अपनी भूमिका क्यों नहीं निभाया?
प्रश्न खड़ा होता है कि ऐसे बच्चे कुंभ मेला में सड़क के किनारे पब्लिक प्लेस पर ही बांसुरी बेचते हैं, बाल श्रम करते हैं फिर मेला प्रशासन के आला अधिकारी और जन प्रतिनिधि तथा जिम्मेदार लोगों की दृष्टि क्यों नहीं जाती?
मिथिलेश बहुत प्यारा है। बांसुरी से अच्छी राग भी निकालता है।
वह कब पढ़ेगा? कैसे बढ़ेगा? और ऐसे पापात्माओं से कौन लड़ेगा?
एक बड़ा सवाल आप सभी को संदर्भित कर रहा हूं।आपसे जवाब की सादर अपेक्षा की जाती है।.
मिथिलेश जैसे अनेक बच्चों से ठेकेदार बाल श्रम करवाता है। कुछ सामान की विक्री कराता है। बदले में इन बच्चों को केवल भोजन और सोने का कोई ऐसा स्थान जहां किसी की दृष्टि ना जाए। सारा लाभ का पैसा ठेकेदार की जेब में जाता है।
मिथिलेश बिहार के छपरा का रहने वाला है जिसकी उम्र मात्र 13 साल है। बरसों से वह ठेकेदार के चंगुल में बंधक होकर बांसुरी बेचता है।
ठेकेदार की कुटिल दृष्टि प्रयागराज स्थित कुंभ मेला पर भी टिकी हुई है और ऐसे बहुत से बच्चे यहां बांसुरी बेचने समेत और भी काम करते हैं।
मैं यह तो नहीं बताऊंगा कि मिथिलेश को छुड़ाने के लिए मैंने अभी तक क्या किया है, शायद अगले वीडियो में बता सकूं किंतु यह सत्य है कि ऐसे कमीने ठेकेदारों पर ऐसी कड़ी सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए कि भविष्य में कोई इस प्रकार के नीच कर्म की हिम्मत न कर सके।
कई सवाल खड़ा होते हैं कि बिहार प्रशासन के जिम्मेदार लोक सेवक ऐसे बच्चों की गणना करने से लेकर पढ़ाई लिखाई और अन्य आंकड़े जो संरक्षित करते हैं उन लोगों ने अपनी भूमिका क्यों नहीं निभाया?
प्रश्न खड़ा होता है कि ऐसे बच्चे कुंभ मेला में सड़क के किनारे पब्लिक प्लेस पर ही बांसुरी बेचते हैं, बाल श्रम करते हैं फिर मेला प्रशासन के आला अधिकारी और जन प्रतिनिधि तथा जिम्मेदार लोगों की दृष्टि क्यों नहीं जाती?
मिथिलेश बहुत प्यारा है। बांसुरी से अच्छी राग भी निकालता है।
वह कब पढ़ेगा? कैसे बढ़ेगा? और ऐसे पापात्माओं से कौन लड़ेगा?
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कुंभ मेला में गिरोह का किया भंडाफोड़। braj bhushan iitk | |
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Non-profits & Activism | Upload TimePublished on 25 Jan 2019 |
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